यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
कि मेरे नाम में जो आई था उसे कभी बड़ा होने नहीं दिया मैंने
मुझे हमेशा मेरे नाम में आई पर वो छोटी सी बिंदी का होना पसंद आया
यूं कद तो दरख्तों के भी देखे हैं ऊंचे बहुत मैंने
लेकिन उन टहनियों का हमेशा नीचे की ओर झुकी होना मुझे पसंद आया
और भले दुनिया देखती होगी आकाश को चुमती हुई वन इमारतों को साहब
लेकिन मुझे तो नींव का उन भारी भरकम पत्थरों के नीचे दबी होना पसंद आया
यूं तो कारें दौड़ाते देखा है बच्चों को आंगन में
लेकिन बचपन को तो असल में कागज की बनी वो कश्ती होना पसंद आया
पर क्रस तो जमाने को हुआ है भले कैन्डी से बहुत
लेकिन मुझे तो नोकिया 11 सौ पर वो सांप की लम्बी पूंछ वाला गेम का होना पसंद आया
यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
यूं दौड़ रहे थे सब लोग इस तरह कि होड़ मची थी जैसे अव्वल आने की
भागते देखकर सबको मुझे उस एग्जाम के रिजल्ट में आखिरी आना पसंद आया।
और जहां आसान रास्ते ढ़ूंढ रहे थे बाजार में सब दौलत, शौहरत, कामयाबी के
वहीं मेरे उंगलियों का यूं लिख-लिख कर खुरदुरी होना पसंद आया
यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
यूं तो हजार किस्म की तमाम चोटें मिली थी इस जिंदगी के सफर में
लेकिन इस दिल को तो उन्हीं के बेवफाई के हाथों जख्मी होना पसंद आया
और भले मिलियंस हो गऐ मेरे चाहने वाले और हजारों मैसेजेस होते हैं मेरे इनबाॅक्स में
लेकिन मेरी आईडी का किसी की आईडी लिस्ट में न होना पसंद आया
यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
जुल्म किसे सितम ढाये हमपे क्या बताऊं उन्होंने क्या-2 किया
और बदले में हमें वो फर्क नहीं पड़ता शायरी होना पसंद आया
और भले सुबह की चाय तुम पीती हो तुम अपने नये हमसफर के साथ अक्सर
लेकिन मेरे जुबां को तो वही बस ब्लैक टी को पीकर गले का सरसराहट होना पसंद आया
यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
कोई बात नहीं मुड़कर तो दोबारा देखा भी नहीं तुमने जाते हुए मुझको
लेकिन उस वक्त उस मंजर को तो मेरा वहीं का वहीं होना पसंद आया
और शायद भीतर लिये आज भी घुमता हूं तुम्हें हर गली हर शहर पर
मुझे इस फरेबी दुनिया में अपनी मोहब्बत का असली होना पसंद आया
यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
यूं इल्जाम लगे थे ढेरों मुझ पर लेकिन कभी आंच भी न आयी मुझ पर
कुछ इस तरह से मेरा खुदा की अदालद से बरी होना पसंद आया
और खुदा मान बैठें थे इस जमाने में जहां लोग खुद को
वहीं राशिद को तो बस फकीर सुफी शायर बनना पसंद आया
यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
कि मेरे नाम में जो आई था उसे कभी बड़ा होने नहीं दिया मैंने
मुझे हमेशा मेरे नाम में आई पर वो छोटी सी बिंदी का होना पसंद आया
यूं कद तो दरख्तों के भी देखे हैं ऊंचे बहुत मैंने
लेकिन उन टहनियों का हमेशा नीचे की ओर झुकी होना मुझे पसंद आया
और भले दुनिया देखती होगी आकाश को चुमती हुई वन इमारतों को साहब
लेकिन मुझे तो नींव का उन भारी भरकम पत्थरों के नीचे दबी होना पसंद आया
यूं तो कारें दौड़ाते देखा है बच्चों को आंगन में
लेकिन बचपन को तो असल में कागज की बनी वो कश्ती होना पसंद आया
पर क्रस तो जमाने को हुआ है भले कैन्डी से बहुत
लेकिन मुझे तो नोकिया 11 सौ पर वो सांप की लम्बी पूंछ वाला गेम का होना पसंद आया
यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
यूं दौड़ रहे थे सब लोग इस तरह कि होड़ मची थी जैसे अव्वल आने की
भागते देखकर सबको मुझे उस एग्जाम के रिजल्ट में आखिरी आना पसंद आया।
और जहां आसान रास्ते ढ़ूंढ रहे थे बाजार में सब दौलत, शौहरत, कामयाबी के
वहीं मेरे उंगलियों का यूं लिख-लिख कर खुरदुरी होना पसंद आया
यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
यूं तो हजार किस्म की तमाम चोटें मिली थी इस जिंदगी के सफर में
लेकिन इस दिल को तो उन्हीं के बेवफाई के हाथों जख्मी होना पसंद आया
और भले मिलियंस हो गऐ मेरे चाहने वाले और हजारों मैसेजेस होते हैं मेरे इनबाॅक्स में
लेकिन मेरी आईडी का किसी की आईडी लिस्ट में न होना पसंद आया
यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
जुल्म किसे सितम ढाये हमपे क्या बताऊं उन्होंने क्या-2 किया
और बदले में हमें वो फर्क नहीं पड़ता शायरी होना पसंद आया
और भले सुबह की चाय तुम पीती हो तुम अपने नये हमसफर के साथ अक्सर
लेकिन मेरे जुबां को तो वही बस ब्लैक टी को पीकर गले का सरसराहट होना पसंद आया
यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
कोई बात नहीं मुड़कर तो दोबारा देखा भी नहीं तुमने जाते हुए मुझको
लेकिन उस वक्त उस मंजर को तो मेरा वहीं का वहीं होना पसंद आया
और शायद भीतर लिये आज भी घुमता हूं तुम्हें हर गली हर शहर पर
मुझे इस फरेबी दुनिया में अपनी मोहब्बत का असली होना पसंद आया
यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया
यूं इल्जाम लगे थे ढेरों मुझ पर लेकिन कभी आंच भी न आयी मुझ पर
कुछ इस तरह से मेरा खुदा की अदालद से बरी होना पसंद आया
और खुदा मान बैठें थे इस जमाने में जहां लोग खुद को
वहीं राशिद को तो बस फकीर सुफी शायर बनना पसंद आया
यूं तो हवा पानी आकाश अग्नि सब कुछ था मैं
लेकिन मुझे तो मेरा फकत मिट्टी होना पसंद आया