कभी तुम मुझे अखबारों में ढूंढोगी,
मेरी रची पंक्तियो में, तुम मेरी सांसे गिनोगी....
मैं कहाँ हूँ, कैसा हूँ...
इन सवालो के जवाब पाने को बेचैन रहोगी..
जब मैं लिखता था सिर्फ,
तुम्हारे लिए, तब तुमने कभी पढ़ा नही..
अब जब मेरी रचना आती है अखबारो में,
तुम उनमे खुद को ढूंढोगी...
कभी तुम मुझे अखबारों में ढूंढोगी,
मेरी रची पंक्तियो में, तुम मेरी सांसे गिनोगी....
मैं कहाँ हूँ, कैसा हूँ...
इन सवालो के जवाब पाने को बेचैन रहोगी..
जब मैं लिखता था सिर्फ,
तुम्हारे लिए, तब तुमने कभी पढ़ा नही..
अब जब मेरी रचना आती है अखबारो में,
तुम उनमे खुद को ढूंढोगी...
कभी तुम मुझे अखबारों में ढूंढोगी,
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