Sunday, 24 September 2017

इस लायक नहीं हो तुम

कि मेरे कुछ सवाल है जो सिर्फ कयामत के रोज पूछूंगा तुमसे, क्यों कि उसके पहले तुम्हारी और मेरी बात हो सके इस लायक नहीं हो तुम।

मैं जानना चाहता हूं कि क्या उसके साथ भी चलते हुए शाम को यूंही बेख्याली में उसका हाथ तुम्हारे हाथ से टकरा जाता है क्या, क्या अपनी छोटी उंगली से उसका भी हाथ थाम लिया करती हो, क्या वैसे ही जैसा मेरा थामा करती थी।

क्या बता दी सारी बचपन की कहानियां तुमने उसको, जैसे मुझको रात-रात भर बैठकर सुनाई थी तुमने।

क्या तुमने बताया उसको की तुमको रातों को आइस्क्रीम खाने का मन होता है, क्या वो भी सर्द रातों में तुम्हे रातों को आइस्क्रीम खिलाता है, क्या वैसे ही जैसे मेरे साथ खाया करती थी।

वो सारी तस्वीरें हैं जो तुम्हारे सहेलियों के साथ, तुम्हारी पापा के साथ है, तुम्हारी बहन के साथ तुम्हारे थी जिनमें तुम बड़ी प्यारी लगी। क्या उसे भी दिखा दी तुमने।

ये कुछ सवाल है जो कयामत के रोज पूछूंगा तुमसे, क्यों कि उसके पहले तुम्हारी और मेरी बात सके, इस लायक नहीं हो तुम।

मैं पूछना चाहता हूं कि क्या वो भी तुम्हे जब घर छोड़ने आता है तुमको तो सीढ़ियों पर आंखे नीचकर क्या मेरी ही तरह उसके सामने भी माथा आगे कर देती हो क्या वैसे ही जैसा मेरे सामने किया करती थी।।

क्या सर्द रातों में बंद कमरों में क्यां वो भी मेरी ही तरह तुम्हारी नंगी पीठ पर अपनी उंगलियों से हर्फ-दर-हर्फ खुद का नाम गोदता है और तुम भी क्या अक्षर-बा-अक्षर पहचाननेकी कोशिश करती हो, क्या वैसे ही जैसे मेरे साथ किया करती थी।

ये कुछ सवाल है जो कयामत के रोज पूछूंगा तुमसे, क्यों कि उसके पहले तुम्हारी और मेरी बात,
इस लायक नहीं हो तुम।।

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