मैं तुम्हे फिर मिलूंगा
कहां कैसे पता नहीं
शायद तेरे कल्पनाओं की प्रेरणा बन
तेरे केनवास पर उतरूंगा
या तेरे केनवास पर
एक रहस्यमयी लकीन बन
खामोश तुझे देखता रहूंगा
मैं तुम्हे फिर मिलूंगा
कहां कैसे पता नहीं
या सूरज की लौ बन कर
तेरे रंगों में घुला रहूंगा
या रंगों की बांहों में बैठकर
तेरे केनवास पर बिछ जाउंगा
पता नहीं कहां किस तरह
पर तुझे जरूर मिलूंगा
या फिर एक चश्मा बन
जैसे झरने से पानी उड़ता है
मैं पानी की बूंदे
तेरे बदन पर मलूंगा
और एक शीतल एहसास बनकर
तेरे से सीने से लगूंगा
मैं और तो कुछ नहीं जानता
पर इतना जानता हूं कि
वक्त जो भी करेगा
यह जन्म मेरे साथ चलेगा
यह जिस्म खत्म होता है
तो सब कुछ खत्म हो जाता है
पर यादों के धागे
कायनात के लम्हों की तरह होते हैं
मैं उन लम्हों को चुनूंगा
उन धागों को समेट लूंगा
मैं तुम्हे फिर मिलूंगा
कहां कैसे पता नहीं
लेकिन
मैं तुम्हे फिर जरूर मिलूंगा।
कहां कैसे पता नहीं
शायद तेरे कल्पनाओं की प्रेरणा बन
तेरे केनवास पर उतरूंगा
या तेरे केनवास पर
एक रहस्यमयी लकीन बन
खामोश तुझे देखता रहूंगा
मैं तुम्हे फिर मिलूंगा
कहां कैसे पता नहीं
या सूरज की लौ बन कर
तेरे रंगों में घुला रहूंगा
या रंगों की बांहों में बैठकर
तेरे केनवास पर बिछ जाउंगा
पता नहीं कहां किस तरह
पर तुझे जरूर मिलूंगा
या फिर एक चश्मा बन
जैसे झरने से पानी उड़ता है
मैं पानी की बूंदे
तेरे बदन पर मलूंगा
और एक शीतल एहसास बनकर
तेरे से सीने से लगूंगा
मैं और तो कुछ नहीं जानता
पर इतना जानता हूं कि
वक्त जो भी करेगा
यह जन्म मेरे साथ चलेगा
यह जिस्म खत्म होता है
तो सब कुछ खत्म हो जाता है
पर यादों के धागे
कायनात के लम्हों की तरह होते हैं
मैं उन लम्हों को चुनूंगा
उन धागों को समेट लूंगा
मैं तुम्हे फिर मिलूंगा
कहां कैसे पता नहीं
लेकिन
मैं तुम्हे फिर जरूर मिलूंगा।
No comments:
Post a Comment