Monday, 20 November 2017

तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगा...........

जब तुम नही होती हो...
अपनी एक डायरी और एक कलम..
कुछ स्याही लेकर फिर बैठा हूँ....
तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगा,
आज ये सोच कर बैठा हूँ....



लिखने के लिए कलम भी बेताब है,
पर कोई ख्याल आता ही नही....
तुमको जो छोड़ता हूँ तो,
ये अल्फाज मुझे छोड़ देते हैं
क्यों एहसासो को अल्फाजों में बांध नहीं पाता हूँ,
जब तुम नही होती हो तो...
क्यों अल्फाजों में यकीन नही ला पाता हूं,
जब तुम नही होते हो तो...
क्यों जिंदगी तुमसे शुरू...
तुम पर ही खत्म होती है....
क्यों मुझे सवालो के जवाब नही मिलते,
जब तुम नही होती हो तो.....
क्यों गुजरता है सिर्फ सफर मंजिल नही मिलती,
जब तुम नही होते हो तो....
ये तुम्हारे प्यार का असर है,
या मेरी जिद है कि खुद में तुमको शामिल करने की....
एक दिवार सी बना रखा है.....
तुम्हारे नाम की
खुद को कैद कर रखा है.......
तुम्हारे प्यार में
तुम तो कब की जा चुकी हो...
मेरी राहो से मेरी मंजिलो को छोड़ कर...
मैं ही हूँ तुमको छोड़ता ही नही,
या छोड़ना चाहता ही नही.....
खुद को तुमसे बांध कर बैठा हूँ....
तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगा,
आज ये सोच कर बैठा हूँ.....!!!

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