वो प्यार मोहब्बत के अकीदतमंद बड़ी जल्दी नफरत करना सीख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
हम नावाकिफ थे इस बात से कि वो अजनबी इस कदर हो जायेंगे
नजर आते थे जो फोन के हर गलियारे में अब एक फोल्डर में सिमट कर रह जायेंगे
और हम नावाकिफ थे इस बात से कि वो इस रिश्ते को इतनी बेहरमी से तोड़ जायेंगे
कि हमे सबसे पहले जवाब देने वाले हमारा मैसेज को सीन करके छोड़ जायेंगे
हम शहरो-शाम मुनतजिर रहे उनके जवाबों के
और वो किसी दूसरी महफिल-ए चैट में रिप्लाई करना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
और बड़ेे दिनों बात हमसे पूूछा हाल-ए-दिल उन्होंने
तो भईया हम भी खुद्दार थे मुस्कुराकर झूठ बोलना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
हम नावाकिफ थे इस बात से कि लोग बदल भी जाया करते हैं
वो आंखों में आंखें डालकर किये हुए वादों से मुकर भी जाया करते हैं
और सदायंे आती थी जिनको हमारे सीने से
वो अब किसी और से लिपटना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
और दिल में आशियां बनाया था जिन्हांेने
और अब हम जैसे ही आनलाईन आते हैं तो वो नजरे चुराकर आॅफलाइन होना सीख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
ं
हम नावाकिफ थे इस बात से कि वो चेहरे को साफ और दिल को मैला रखते हैं
कुछ लोग हंसी ऐसे भी हैं जो खिलौने नहीं जज्बातों से खेला करते हैं
हम आशिक नादान थे ता-जिंदगी भीतर-बाहर एक से रहे
वो कम्बखत बेवफाई करते-2 रोजाना जिल्द बदलना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
हमने उनके साथ अर्श के सपने देखे थे
और हुए हकीकत से रूबरू तो ख्वाहिशें कुचलना सीख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
हम नावाकिफ थे इस बात से कि वक्त हमारे इतना खिलाफ हो जायेगा
कि उनकी मेहंदी में वो चुपके से बनाया हुए मेरे नाम का वो आर अक्षर
इस कदर किसी और के नाम हो जाएगा
हम उनके नाम का हर्फ हथेली पर नहीं दिल पर लिखना चाहते थे
इसलिए दर्द होता रहा हर्फ बनता रहा और हम दिल कुरेदना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
हम उनपे मरकर जीना चाहते थे
हुए अलहदा उनसे जब से जीते जी मरना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
कि हम नावाकिफ थे इस बात से कि वो हमारे बिना भी रह सकते थे
जो फसाने उन्होंने हमसे कहे थे उतनी ही सिद्दत से किसी और से भी कह सकते थे
अरे हमने तो सोना समझ यूं पकड़े रखा था उनको
और वो कम्बखत धूल थे निकले कि बड़े इतमिनान से फिसलना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
कि हम कुछ देर जो दूर हुए क्या थे उनसे
कि अब वो हमारे बिना ही रहना सीख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
हम नावाकिफ थे इस बात से कि वो अजनबी इस कदर हो जायेंगे
नजर आते थे जो फोन के हर गलियारे में अब एक फोल्डर में सिमट कर रह जायेंगे
और हम नावाकिफ थे इस बात से कि वो इस रिश्ते को इतनी बेहरमी से तोड़ जायेंगे
कि हमे सबसे पहले जवाब देने वाले हमारा मैसेज को सीन करके छोड़ जायेंगे
हम शहरो-शाम मुनतजिर रहे उनके जवाबों के
और वो किसी दूसरी महफिल-ए चैट में रिप्लाई करना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
और बड़ेे दिनों बात हमसे पूूछा हाल-ए-दिल उन्होंने
तो भईया हम भी खुद्दार थे मुस्कुराकर झूठ बोलना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
हम नावाकिफ थे इस बात से कि लोग बदल भी जाया करते हैं
वो आंखों में आंखें डालकर किये हुए वादों से मुकर भी जाया करते हैं
और सदायंे आती थी जिनको हमारे सीने से
वो अब किसी और से लिपटना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
और दिल में आशियां बनाया था जिन्हांेने
और अब हम जैसे ही आनलाईन आते हैं तो वो नजरे चुराकर आॅफलाइन होना सीख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
ं
हम नावाकिफ थे इस बात से कि वो चेहरे को साफ और दिल को मैला रखते हैं
कुछ लोग हंसी ऐसे भी हैं जो खिलौने नहीं जज्बातों से खेला करते हैं
हम आशिक नादान थे ता-जिंदगी भीतर-बाहर एक से रहे
वो कम्बखत बेवफाई करते-2 रोजाना जिल्द बदलना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
हमने उनके साथ अर्श के सपने देखे थे
और हुए हकीकत से रूबरू तो ख्वाहिशें कुचलना सीख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
हम नावाकिफ थे इस बात से कि वक्त हमारे इतना खिलाफ हो जायेगा
कि उनकी मेहंदी में वो चुपके से बनाया हुए मेरे नाम का वो आर अक्षर
इस कदर किसी और के नाम हो जाएगा
हम उनके नाम का हर्फ हथेली पर नहीं दिल पर लिखना चाहते थे
इसलिए दर्द होता रहा हर्फ बनता रहा और हम दिल कुरेदना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
हम उनपे मरकर जीना चाहते थे
हुए अलहदा उनसे जब से जीते जी मरना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
कि हम नावाकिफ थे इस बात से कि वो हमारे बिना भी रह सकते थे
जो फसाने उन्होंने हमसे कहे थे उतनी ही सिद्दत से किसी और से भी कह सकते थे
अरे हमने तो सोना समझ यूं पकड़े रखा था उनको
और वो कम्बखत धूल थे निकले कि बड़े इतमिनान से फिसलना सिख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
कि हम कुछ देर जो दूर हुए क्या थे उनसे
कि अब वो हमारे बिना ही रहना सीख गए
हम तो उनके थे उन्हीं के रहे और वो न जाने कब गैरों के होना सीख गए
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